देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें! अंधकार को क्यों धिक्कारें अच्छा हो एक दीप जलाएँ!
हर हर गंगे
कुम्भ स्नान, हरिद्वार 2010
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